वह अटल है (कविता) - आशीष दुबे

वह अटल है



आशीष दुबे, इटावा (उत्तर प्रदेश) भारत  


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निज मौत को ललकारता , वह अटल है।
अन्याय को दुत्कारता , वह अटल है।
नीर नयनों मे लिए जो , हंस रहा था।
देश पर सब वारता जो , वह अटल है ।


कोटि कंठों मे बसा जो , वह अटल है।
प्रतिकूलता मे भी हंसा जो , वह अटल है।
काल को ललकार कर जो , ताल ठोंके ।
स्वीकार करता निज दसा जो , वह अटल है।


राष्ट्र गौरव को जिया जो , वह अटल है।
त्याग निज जीवन किया जो , वह अटल है ।
संघर्ष का पथ चुन सहज , आगे बढ़ा।
एक उज्जवल पथ दिया जो , वह अटल है।


 


कवि परिचय-


आशीष दुबे


शैक्षिक योग्यता- परास्नातक (M.A) समाजशास्त्र 
सम्मान-इटावा गौरव सम्मान, महाकवि नीरज सम्मान, परशुराम सम्मान,साहित्य सारथी सम्मान


रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व विविध पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन


उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना


 


 


 


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