वर्षा-बूँदें  (कविता) - डॉ अनीता पंडा

वर्षा- बूँदें 



डॉ अनीता पंडा, शिलांग (मेघालय) भारत


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रिमझिम मेघा बरसे 
शीतल मंद समीर 
मन पंछी कल्लोल करे
नयन काहे होत अधीर ।


काहे होत अधीर नयन
चले जमुना जी के तीर
मुरली बजावत मधुर धुन 
सलोने यशोदा के वीर ।


यशोदा के वीर सलोने 
घनश्याम बन मेह बरसे 
मन मयूर नाचे अलबेले 
बूँदों संग करें अठखेले ।


बूँदों संग करें अठखेले 
सखी, डाल पर पड़े झूले 
पेंग प्रेम रस बढ़ाएँ 
आओ, बर्षा संग झूमें ।


आओ, वर्षा संग झूमें 
तप्त धरा देखो हर्षे 
प्रियतम मेघ नेह बरसे 
हरित रोम-रोम उमंगे ।


 


 


परिचय-


डॉ अनीता पंडा


कार्य क्षेत्र - अतिथि प्रवक्ता, मार्टिन लूथर क्रिश्चियन विश्वविद्यालय, शिलांग,


वरिष्ठ शोधकर्ता ICSSAR, New Delhi


कार्यक्रम संचालक NES AIR Shillong 


रुचि- गद्य व पद्य की समस्त प्रचलित विधाओं में सृजन व विविध पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन

उद्देश्य- हिंदी को लोकप्रिय राष्ट्रभाषा बनाना


 


 


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