अकेले में (कविता) - प्रवीन "पथिक"
अकेले में प्रवीन "पथिक", बलिया (उ०प्र०) भारत   ************************************************* अकेलेपन की गहन-निशा में, अनिमेष देखता हूॅं एक सपना कि, डूब रहा हूॅं गहरी खोह में, पाताल की गहराइयों में, धॅंसता,निष्प्राण काया लिए, बढ़ता जाता हूॅं घने अरण्य में, चीड़ पर टंगी मेरी आत्मा, याचन…
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टूटी सीमाएँ (कविता) - तुलसी कार्की
टूटी सीमाएँ तुलसी कार्की, असम (भारत) ************************************************* भूखे को थाली परोसी मिलेगी   तो उसको कब   ये सुध होगी  थाली में रोटी थी या किसानों का दर्द?  ठिठुरती सर्दी में फुटपाथ पर सोते हुए को  कम्बल की गर्मी तन पर मिले  तो उसको कब ये सुध होगी  कम्बल रेशों का है या चमड़ी क…
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ओ पुरवैया के बादलो ठहरो चले कौन से देश..... (गीत) - मीनाकुमारी शुक्ल 'मीनू'
ओ पुरवैया के बादलो ठहरो चले कौन से देश..... (भाई को समर्पित) (स्व. श्री श्याममोहन मिश्रा) मीनाकुमारी शुक्ल 'मीनू', राजकोट (गुजरात) भारत  ************************************************* ओ पुरवैया के बादलो ठहरो चले कौन से देश...... मुझे भी साथ ले चलो या मेरा ले जाओ संदेश..... गगन में  जाकर …
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धर्म (लघुकथा) - विजय कुमार शर्मा
धर्म   विजय कुमार शर्मा , चण्डीगढ़, भारत   ************************************************* मधुर अपने मित्रों के साथ , विश्वविद्यालय से पांच किलोमीटर दूर एक युवा छात्रावास में रहता था क्योंकि यहां पुस्तकालय की सुविधा चौबीस घंटे थी। मधुर ध्येयनिष्ठ होकर पुस्तकालय में डटा रहता। पढ़ते पढ़ते जब दिमाग ज…
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हे ! माँ वीणा वादिनी (सरस्वती वंदना) - कालिका प्रसाद सेमवाल
हे ! माँ वीणा वादिनी कालिका प्रसाद सेमवाल, रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड) भारत   ************************************************* हे! माँ वीणा वादिनी मुझे ज्ञान का भण्डार दे, जीवन में प्रकाश कर दे कष्ट मेरे माँ  हरण कर दे। हे!माँ वीणा वादिनी अवगुणों को खत्म कर दे, विचलित न हो मन कभी  काम, क्रोध, लोभ मेरे…
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आँसू (छंद - देव घनाक्षरी) - बबिता बिटू जैन
आँसू   बबिता बिटू जैन, भिवंडी (महाराष्ट्र) भारत ************************************************* माना होते खारे आंसू , लगते प्यारे आंसू , मिलती  थोडी राहत, जाते है  टपक टपक  खुशी में छलक पड़े, खुशियों की धार आंसू,  साहरा बनते आसू ,जाते हैं  छलक छलक  लगे जैसे शबनम, कभी तो शरारे आंसू, मोतियो जेसे ह…
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विकास ज़िंदा है संस्था की अध्यक्षा डॉ सुनीता शर्मा जी द्वारा सड़क सुरक्षा कार्यक्रम की हुई शुरुआत
आज 02 अक्टूबर 2020 को विकास ज़िंदा है संस्था की अध्यक्षा डॉ सुनीता शर्मा जी ने गांधी जयंती अवसर पर सड़क सुरक्षा कार्यक्रम की शुरुआत की। इस कार्यकर्म का शुभारंभ वायु सेना  के श्री एम पी सिंह जी, नेवी से लेफिटनेंट ओ पी यादव जी व वरिष्ठ  समाज सेवी श्री सुमंत पांडेय जी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का …
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जसवंत सिंह रावत
शहीद जसवंत सिंह रावत     **************************************************   भारत में वीरों की कमी नहीं है। यहां की माताएं वीरों को जन्म देती हैं। यहां के वीर सैनिक बहादुरी के लिए विश्व प्रसिद्ध है। परंतु शहीद जसवंत सिंह रावत का स्थान भारतीय सेना ने अनोखा और निराला है। वे ऐसे वीर जवान हैं जिनकी शह…
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27 सितम्बर 2020 बेटी दिवस (भारत) पर प्राज्ञ साहित्य की उपहार योजना में चयनित कविताएँ
वरदान हैं प्रभु का ये हमारी बेटियाँ ध्वनि आमेटा, डुंगरपुर (राजस्थान) भारत   ************************************************* आती है समृद्धि जहाँ पर इनका वास है।  लक्ष्मी सरस्वती यहाँ करती निवास है।  हजारों पुण्य कर्म का फल होतीं बेटियाँ,  नसीब वालों के घर जन्म लेतीं शक्तियाँ,  पहले तो इन्हें जीने…
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वह अटल है (कविता) - आशीष दुबे
वह अटल है आशीष दुबे, इटावा (उत्तर प्रदेश) भारत   ************************************************* निज मौत को ललकारता , वह अटल है। अन्याय को दुत्कारता , वह अटल है। नीर नयनों मे लिए जो , हंस रहा था। देश पर सब वारता जो , वह अटल है । कोटि कंठों मे बसा जो , वह अटल है। प्रतिकूलता मे भी हंसा जो , वह अटल …
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मैं और मेरी तनहाई (कविता) - विनय समाधिया
मैं और मेरी तनहाई विनय समाधिया, दतिया (मध्य प्रदेश) भारत   ************************************************* मैं और मेरी तनहाई, अक्सर बातें करते हैं एक दूजे पे हंसते दोनों, एक दूजे पे मरते हैं, दोनों में होती गप्प सड़ाका, खूब लगाते हंसी ठहाका भूखा मैं गर, वो भी भूखी, दोनों मिलकर करते फांका, उसका अ…
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सूरज की तपिश (कविता) - दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
सूरज की तपिश दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल, महराजगंज (उ.प्र.) भारत   ************************************************* चिलचिलाती गर्मियों के दरमियां       इक बात कहनी है, सूरज की तपिश से हैं परेशां      इक बात कहनी है।। चढ़   रहे   पारे  सा  दिन   धूप नहीं  है   शीतल   छाया   कहीं प्यासे   हैं   सब   पं…
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वर्षा-बूँदें  (कविता) - डॉ अनीता पंडा
वर्षा- बूँदें  डॉ अनीता पंडा, शिलांग (मेघालय) भारत ************************************************* रिमझिम मेघा बरसे  शीतल मंद समीर  मन पंछी कल्लोल करे नयन काहे होत अधीर । काहे होत अधीर नयन चले जमुना जी के तीर मुरली बजावत मधुर धुन  सलोने यशोदा के वीर । यशोदा के वीर सलोने  घनश्याम बन मेह बरसे  मन …
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मैं अपनी कविता स्वयं हूँ (कविता) - डा० नीलिमा वर्मा
मैं अपनी कविता स्वयं हूँ डा० नीलिमा वर्मा, मुजफ्फरपुर (बिहार) भारत ************************************************* मैं अपनी कविता स्वयं हूँ, पुरुष वर्चस्व के बीच, सांस लेती , समझौता करती, घर गृहस्थी सम्भालती, अहर्निश उस क्षितिज को , तलाशती जहाँ -- एक पल की विश्रान्ति, भरोसेमंद दाम्पत्य का अहसास, …
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कुत्सित मंशा (कविता) - जयप्रकाश पाराशर
कुत्सित मंशा जयप्रकाश पाराशर, दिल्ली, भारत   ************************************************* देश पड़ौसी की मंशा थी ,सारी दुनिया सो जाए। इस वायरस के विषम ज्वार से, शत्रु हमारे खो जाए। दुनिया पर परचम लहरेगा, दुनिया लोहा मानेगी। चीन सरीखा कोई नहीं है तब ताकत पहचानेगी। ऐसी भीषण ज्वाल गरल की, मानव उसम…
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गजराज (दुर्मिल सवैया) - डॉ.प्रतिभा कुमारी पराशर
गजराज (चार चरण समतुकांत।  12वर्ण पर यति विधान) डॉ.प्रतिभा कुमारी पराशर, हाजीपुर (बिहार) भारत ************************************************* वन के पशु जान गँवाय रहे , रजनीचर  मार गिरावत है। वनसाथिन जो बड़भागिन है ,अपनी पहचान बचावत है।। बलवीर वही  गिर भूमि पड़ा , वह तो गजराज कहावत है। हथिनी पर जोर…
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हद-जद-दुःखद-जद्दोजहद (कविता) - महेन्द्र प्रताप सिंह
हद-जद-दुःखद-जद्दोजहद महेन्द्र प्रताप सिंह, नई दिल्ली, भारत   ************************************************* शब्द की छाया सजल है, एक अँधेरी रात है, अँधेरों की साजिशों में उजालों का भी हाँथ है, बरबस मानवता खड़ी आर्त स्वर आलाप है, मौत की खामोशियों में कौन? किसके?साथ है, प्रकृति का ये न्याय है हर तरफ…
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